महासागरों में पानी की सतह पर तैरने वाले छोटे-छोटे प्लवक जीव (प्लैंकटन) कार्बन डाईआक्साइड की भारी मात्रा सोख कर विश्व के बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिग) को कम कर सकते हैं।
जर्मनी में काइल नामक जगह की लाइबनित्ज इंस्टीट्यूट आफ मैरीन साइंसेज के मुताबिक ये जीव लगभग 39 फीसदी अधिक कार्बन डाईआक्साइड को सोख सकते हैं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात ये भी है इन जीवों की मौत के बाद उनकी कोशिकाओं में मौजूद कार्बन डाईआक्साइड महासागरीय खाद्य सामग्री और महासागर की खाद्य श्रृंखला (फूड बेव) को प्रभावित कर सकती है।
लेकिन यह तय है कि दुनिया भर में जेट विमानों से लेकर मोटर साइकिलों में इस्तेमाल हो रहे जैव ईधन के इस्तेमाल से पैदा हुई आधे से अधिक कार्बन डाईआक्साइड को सोख कर भविष्य में बढ़ने वाले तापमान को कम किया जा सकता है।
हालांकि वैज्ञानिक पत्रिका नेचर ने इस बारे में ्पनी टिप्पणी देते हुए कहा है कि इन जीवों की मौत के बाद उनकी कोशिकाओं के विघटन के लिए अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पडे़गी। इससे अन्य जीवों के लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। एक आशंका ये भी ज़ाहिर की जा रही है कि अधिक कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा वाले ऐसे जीवों को खाने वाले अन्य जीवों की वृद्धि दर और उत्पादन क्षमता प्रभावित होगी।
लेकिन गरम होती जा रही धरती के लिए एक नई राह तो है ही।
मंजीत ठाकुर
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