हे दुष्टता, तुझे नमन
कुछ न होने से
शायद बुरा होना अच्छा है,
भलाई-सच्चाई में लगे हैं,
कौन से ससुरे सुरखाब के पंख..
घिसती हैं ऐड़ियां,
सड़कों पर सौ भलाईयां,
निकले यदि उनमें एक बुराई,
तो समझो पांच बेटियों पर हुआ
एक लाडला बेटा..
थोड़ी सी भलाई पर छा जाती है बुराई
जैसे टनों दूध पर तैरती है थोड़ी सी मलाई
मंजीत ठाकुर
कुछ न होने से
शायद बुरा होना अच्छा है,
भलाई-सच्चाई में लगे हैं,
कौन से ससुरे सुरखाब के पंख..
घिसती हैं ऐड़ियां,
सड़कों पर सौ भलाईयां,
निकले यदि उनमें एक बुराई,
तो समझो पांच बेटियों पर हुआ
एक लाडला बेटा..
थोड़ी सी भलाई पर छा जाती है बुराई
जैसे टनों दूध पर तैरती है थोड़ी सी मलाई
मंजीत ठाकुर